बढ़ती उम्र में भी बरकरार रहेगी आंखों की रोशनी, अपनाएं ये 5 आदतें…

हमारे खानपान और लाइफस्टाइल का असर आंखों की रोशनी पर भी पड़ता है. आज की जेनेरेशन में बच्चों को भी चश्मे की जरूरत होने लगी है. कई बार लोग अपनी आंखों को लेकर लापरवाही बरतते हैं, जो बाद में गंभीर हो सकता है. ऐसे में लोगों को आंखों की रोशनी के बारे में जागरुकता देने के मकसद से हर साल 1 से 7 अप्रैल को ब्लाइंडनेस वीक मनाया जाता है.

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पनवेल के आर.जे शंकरा आई हॉस्पिटल में ग्लूकोमा कंसल्टेंट डॉ. रोशन कोलाको कहते हैं कि आंखों का नियमित ध्यान रखा जाए तो बढ़ती उम्र में भी रोशनी कम नहीं होगी. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि आंखों की किस तरह से देखभाल करना फायदेमंद होगा.

हेल्दी डाइट

एक्सपर्ट कहते हैं कि अपनी डाइट में विटामिन A, C, E और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों को शामिल करें. गाजर, पालक, संतरा और ड्राई फ्रूट्स मोतियाबिंद के खतरे को कम करने में मदद करते हैं. 30 साल की उम्र के बाद तो इन चीजों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें.

स्क्रीन से ब्रेक लें

फोन, कंप्यूटर और टेलीविजन पर लगातार काम करने से आंखों में ड्राईनेस या फिर स्ट्रेस हो सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि कुछ देर स्क्रीन से ब्रेक लें.20-20-20 नियम का पालन करें. हर 20 मिनट में, किसी 20 फीट दूर वस्तु को 20 सेकंड के लिए देखें, ताकि आपकी आंखों को आराम मिल सके.

सनग्लासेज पहनें

सूर्य की हानिकारक UV किरणें मोतियाबिंद और आंखों के कैंसर को बढ़ावा दे सकती हैं. इसलिए 100% UV सुरक्षा वाले सनग्लासेज पहनना जरूरत है. सनग्लासेज पहनने से आंखें सूर्य के सीधे संपर्क में आने से भी बच जाती हैं.

हाइड्रेटेड रहें

अगर शरीर में पानी की कमी होती है, तो आंखें ड्राई हो सकती हैं. इस समस्या को हल करने के लिए दिन में आठ गिलास पानी पिएं. हाइड्रेशन के लिए आप खीरे और तरबूज जैसी चीजों को डाइट में शामिल कर सकती हैं.

नियमित आंखों की जांच कराएं

कई आंखों की बीमारियां जैसे ग्लूकोमा और डायबिटिक रेटिनोपैथी शुरुआती लक्षण नहीं दिखती हैं. आंखों के विशेषज्ञ कहते हैं कि वयस्कों को हर एक से दो साल में आंखों की जांच करवानी चाहिए. जबकि बच्चों और बुजुर्गों को साल में एक बार जरूर आई चेकअप करवाना चाहिए.

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