इंफोसिस के पूर्व सीईओ मोहनदास पाई ने बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार को लेकर भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी विनोद खोसला पर निशाना साधा है. मोहनदास पाई ने कहा कि विनोद खोसला ने बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार को लेकर अपने करीबी दोस्त मोहम्मद यूनुस के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा.
पाई ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि क्या आप अपने करीबी दोस्त मुहम्मद यूनिस की अगुवाई में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के नरसंहार के खिलाफ बोलेंगे? सड़कों पर जिहादी चरमपंथियों द्वारा हिंदुओं को मारा जा रहा है और आप जैसे लोग यूनूस को सराह रहे हैं. कृपया कर मानवाधिकारों के लिए खड़े हो जाएं.
बता दें कि पाई का ये बयान विनोद खोसला के सात अगस्त के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने शेख हसीना के इस्तीफे और उनके देश छोड़ फरार होने के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाए जाने पर खुशी जाहिर की थी. खोसला ने कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की अगुवाई नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस करेंगे. मैं बहुत उत्साहित हूं क्योंकि मैं उनका फैन हूं.
Will you @vkhosla Pl stand up and protest against the genocide of minority Hindus in BD led by your very close friend @Yunus_Centre ? Hindus are being beaten and killed by jihadi extremists in the streets and Yunus is basking in glory at the admiration of people like you. Pl… https://t.co/n0NigGltEU
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) November 28, 2024
चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा
बांग्लादेश के चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं. चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समाज के लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इस दौरान उन पर BNP और जमात के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया था, जिसमें 50 हिंदू घायल हो गए थे.
चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने हर जिले में शांतिपूर्ण सभाएं आयोजित कीं. हालांकि इन शांतिपूर्ण सभाओं पर चरमपंथी समूहों ने हमले किए. इस्लामिक समूहों ने चटगांव में हिंदू समुदाय के सदस्यों पर हमला किया.
कौन हैं चिन्मय प्रभु
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रमुख नेता और इस्कॉन चटगांव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं. उन्हें लोग चिन्मय प्रभु नाम से भी जानते हैं. वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ सशक्त आवाज उठाते रहे हैं. बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से ज्यादा मंदिर हैं, और लगभग 50 हजार से ज्यादा लोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं.