अब देश के बैंक ना तो अपनी मनमानी चला सकेंगे, ना ही गड़बड़ कर सकेंगे. बैंकों का बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कुछ मामलों में बेहद सख्ती बरत रहा है और इसमें किसी भी तरह की कोताही बरतने को तैयार नहीं है. इसलिए उसने बैंकों के अधिकारियों और ऑडिटर्स को ‘जीरो टोलरेंस’ का एक मैसेज भी भेज दिया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मंगलवार को देश के सभी कमर्शियल बैंकों के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर्स और बाहरी ऑडिटर्स के साथ बड़ी बैठक करने जा रहा है. इससे ठीक पहले आरबीआई ने इन सभी को बैठक का एजेंडा भी बता दिया है.
भारी पड़ेगी ये लापरवाही
दरअसल केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों के मुख्य वित्त अधिकारियों और ऑडिटर्स से कहा है कि कंप्लायंस और रेग्युलेटरी नियमों में कोताही को लेकर वह जीरो टोलरेंस की पद्धति पर काम करें. इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से ईटी ने एक खबर में कहा है कि आरबीआई के दो डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव और जे. स्वामीनाथन बैंकों के सीएफओ और ऑडिटर्स के साथ बैठक करने वाले हैं.
बैलेंस शीट को एकदम दुरुस्त
इस बैठक में आरबीआई बैंकों के सीएफओ और ऑडिटर्स को ये निर्देश दे सकता है कि वे बैंकों की बैलेंस शीट को एकदम दुरुस्त रखने की अपनी जिम्मेदारी का पालन करें. बैलेंस शहट बैंकों की वित्तीय हालत का सही अंदाजा देने वाली होनी चाहिए.
बैंकों और ऑडिटर्स के बीच भरोसे की कमी
एक सीनियर बैंकर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया है कि बैंकों और ऑडिटर्स के बीच लगातार रस्साकशी देखी गई है. इसकी एक वजह भरोसे की कमी होना है और दोनों के बीच रेग्युलेशंस की व्याख्या को लेकर मतभेद होना इसकी दूसरी वजह है. सबसे बड़ा विवाद का मुद्दा आय की पहचान और लोन की प्रोविजनिंग है. इसलिए दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य बिठाने के उद्देश्य से भी केंद्रीय बैंक ने आज की बैठक बुलाई है.