Madhya Pradesh: पन्ना, छतरपुर, दमोह के 67 गांवों का जोनल मास्टर प्लानः टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन की 11 माह में हुई पहली बैठक

Madhya Pradesh: पन्ना टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन में आने वाले पन्ना, छतरपुर और दमोह जिलों के 67 गांवों का जोनल मास्टर प्लान तैयार होगा. यह काम एक साल में पूरा किया जाएगा. टाइगर रिजर्व इको सेंसिटिव जोन घोषित होने के 11 माह बाद हुई पहली बैठक में यह तय किया गया है कि प्रस्तावित जोन में लैंड यूज एरिया की स्थिति स्पष्ट की जाए। इसमें सभी प्रकार की व्यवसायिक खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध सहित नए उद्योग स्थापना पर भी रोक शामिल रहेगी. नेशनल पार्क के एक किमी के दायरे में ही होटल और रिसोर्ट संचालित होंगे.

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टाइगर रिजर्व को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने की कार्यवाही 5 जून 2024 को हुई थी. इसके बाद संभागायुक्त सागर की अध्यक्षता में पहली बैठक में मंडला के कर्णावती व्याख्या केन्द्र में पन्ना टाइगर रिजर्व एवं गंगऊ अभ्यारण्य क्षेत्र में प्रस्तावित ईको सेंसिटिव जोन के संबंध में मॉनिटरिंग समिति की बैठक हुई.

बैठक में समिति के अध्यक्ष और संभागायुक्त सहित पन्ना, छतरपुर कलेक्टर, क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व मौजूद रहे.

बैठक में कहा गया कि कार्य योजना के अनुसार ईएसजेड के लिए कार्यवाही की जाएगी। इसमें पन्ना, छतरपुर और दमोह जिले के 67 गांवों को शामिल किया गया है। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के तहसीलवार तैयार मैप के मुताबिक भविष्य में किए जाने वाले कार्यों की रूपरेखा तैयार करेंगे और 2026 तक जोनल मास्टर प्लान तैयार करने का काम पूरा करेंगे। इस दौरान प्रस्तावित जोन में लैंड यूज एरिया पर भी चर्चा की गई.

सेंसिटिव जोन में 3 उपायों पर काम होगा

सेंसिटिव जोन में तीन तरह के उपाय किए जाना हैं, इसमें पूर्णतः प्रतिबंधित, नियंत्रित और बढ़ावा देने वाली अलग-अलग गतिविधियां शामिल हैं.

यहां ध्वनि और वायु प्रदूषण सहित अन्य प्रतिबंधित गतिविधियों के लिए जारी नियमों का पालन करना आवश्यक है.

जोन में सभी प्रकार की ईको फ्रेंडली गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिसमें रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग, स्किल डेवलपमेंट और पौधारोपण जैसी गतिविधियां शामिल हैं.

यहां जन जागरूकता गतिविधियों, जोनल मास्टर प्लान की जरूरत और प्रस्तावित जरूरी कार्यों के लिए समिति बनाने और विशेषज्ञों की नियुक्ति की जानकारी भी बैठक में दी गई.

इसमें केन बेतवा परियोजना के अभियंता द्वारा बांध एवं नहर के अलग-अलग निर्माण कार्यों के दौरान कुछ मुद्दों पर ध्यान आकृष्ट कराया गया, जिस पर प्रस्तावित जोन में एसओपी का पालन कर इन्फ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमेंट और अन्य गतिविधियों के संचालन पर सहमति बनी.

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