बारिश की बूंदों से निखरी सातधार की अप्रतिम सुंदरता, भेड़ाघाट की याद दिलाता चट्टानों का आकर्षक कटाव

पौराणिक नगरी बारसूर में इंद्रावती नदी पर सातधार जलप्रपात अपनी अप्रतिम सुंदरता के चलते सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है, हालांकि बस्तर में इस समय मूसलाधार बारिश के चलते इंद्रावती उफान पर है, नतीजतन सप्तधारये नजर नहीं आ रही, बाबजूद बारिश की बूंदों से सातधार की नैसर्गिक सुंदरता मंत्रमुग्ध कर रही है।

80 के दशक से यहां इंद्रावती पर बोधघाट परियोजना प्रस्तावित थी, जो कई विवादो के चलते मूर्त रूप ले ना सकी, लेकिन परियोजना के दौरान इंद्रावती पर अबूझमाड़ की सरहद को जोड़ती सेतू का निर्माण कराया गया था, जिससे बस्तर का दंतेवाड़ा जिला का वर्तमान में नारायणपुर जिले से जुड़ चुका है। सातधार की बेजोड़ नैसर्गिक सुंदरता को निहारने लोग इस पुल पर पहुंचते है।

इस स्थान की विशेषता यह कि यहां चट्टानों के आकर्षक कटाव के मध्य इंद्रावती की 7 धाराएं खाई में गिरती है, इसलिए यह स्थल सात धार के नाम से विख्यात है। यह स्थल बरबस ही पर्यटको को भेड़ाघाट की याद दिलाता है।

यह स्थल अबूझमाड़ का दक्षिणी प्रवेश द्वार भी माना जाता है। यहां से 15 किमी दूर तुलार गुफा और 25 किमी दूर धारा डोंगरी पर स्थित मध्य भारत के सबसे ऊंचे हांदावाड़ा जल प्रपात मौजूद है।

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