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‘हमारी बर्बादी के लिए सब मिले हुए हैं…’, बयान पर बवाल मचने के बाद फारूक अब्दुल्ला का माफी मांगने से इनकार

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुप्रीमो और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला का चौंकाने वाला बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर सेना की भारी तैनाती है, जो यकीनन दुनिया में सबसे बड़ी है, इसके बावजूद वे (आतंकवादी) घुसपैठ करने में कामयाब हो जाते हैं. ड्रग्स की तस्करी की जाती है. ऐसे में सवाल ये है कि बॉर्डर पर सेना की बड़ी तैनाती के बावजूद ऐसा कैसे हो सकता है? फारूक ने कहा कि सब मिले हुए हैं, हमारी बर्बादी के लिए सब मिले हुए हैं.

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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में फारूक अब्दुल्ला अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि अयोध्या में भाजपा हार गई. आप जानते हैं क्यों? इसकी वजह है वहां लोगों के घर तोड़ दिए गए. एयरपोर्ट बनाने के लिए गरीब लोगों की जमीन ले ली गई, लेकिन लोगों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया.

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमारा सवाल ये है कि सैकड़ों की संख्या में ड्रग्स और उग्रवादी कहां से आ रहे हैं? जब उनके इस बयान पर बवाल हुआ तो उन्होंने अपने बयान के लिए माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने तर्क दिया कि अगर घुसपैठ हो रही है तो किसी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.

बयान पर विवाद खड़ा होने के बाद अब्दुल्ला ने सफाई देते हुए कहा कि वह सिर्फ इस बात का जवाब चाहते हैं कि सैकड़ों की संख्या में ड्रग्स और आतंकवादी देश में कैसे प्रवेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. सीमा केंद्र सरकार का विषय है और हमारे गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को बोलना चाहिए.

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि करीब 200-300 आतंकवादी कैसे आ गए? वे कहां से आए हैं? कोई तो जिम्मेदार है. कौन धोखा दे रहा है? कौन मर रहा है- हमारे कर्नल, मेजर और सैनिक. यह सब कैसे हो रहा है? केंद्र सरकार को पूरे देश को जवाब देना चाहिए.

 

वहीं, गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) ने फारूक अब्दुल्ला की टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि एनसी सुप्रीमो द्वारा लगाए गए आरोप “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण” हैं. DPAP के प्रवक्ता अश्विनी हांडा ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला एक बहुत वरिष्ठ राजनेता हैं और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर सवाल उठाया है. यह भारतीय सेना के उन बहादुर सैनिकों के बलिदान पर सवाल उठाने जैसा है, जो देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देते हैं.

फारूक अब्दुल्ला का यह बयान शनिवार को अनंतनाग जिले के अहलान गगरमांडू वन क्षेत्र में 10,000 फीट की ऊंचाई पर आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में दो जवानों के शहीद होने और एक नागरिक की मौत के एक दिन बाद आया है.

 

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