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किसी और को दे दिया दूसरे का शव, सुप्रीम कोर्ट ने ठोका 25 लाख रुपये का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने गलत डेडबॉडी देने के एक मामले में केरल के एरनाकुलम अस्पताल पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. आदालत ने शुक्रवार (16 अगस्त 2024) को सुनवाई के दौरान अस्पताल को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ताओं को उनके पिता का शव किसी और को सौंपने के लिए 25 लाख रुपए का मुआवजा दे.

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न्यायमूर्ति हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने अस्पताल को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी के लिए दोषी पाया. पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें अपीलकर्ता मेसर्स एर्नाकुलम मेडिकल सेंटर और अन्य को शिकायतकर्ता डॉ. पी. आर. जयश्री और अन्य को केवल 5 लाख रुपये का भुगतान करने और राज्य उपभोक्ता आयोग के उपभोक्ता कानूनी सहायता खाते में 25 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया था.

पीठ ने कहा, “हमारा मानना है कि इस तरह का आदेश पारित करने का कोई औचित्य नहीं था. अस्पताल ने सेवा में कोताही की है. अस्पताल ने याचिकाकर्ता के पिता का शव किसी और परिवार को दे दिया, जिसने अंतिम संस्कार भी कर दिया. ऐसी स्थिति में अस्पताल अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. इसलिए अस्पताल  याचिकाकर्ता को (पुरुषोत्तम के बेटे) को 25 लाख रुपये मुआवजे का भुगतान करे.

क्या है पूरा मामला ?

लेफ्टिनेंट कर्नल ए. पी. कैंथी नाम के एक मरीज को 28 दिसंबर, 2009 को इलाज के लिए केरल के एरनाकुलम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दो दिन बाद यानी 30 दिसंबर, 2009 को शिकायतकर्ताओं के पिता आर. पुरुषोत्तमन नाम के एक अन्य मरीज को भी उपचार के लिए इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 30 दिसंबर, 2009 की रात में उनकी मृत्यु हो गई. परिजनों ने शव को अस्पताल के शवगृह में रखने की अपील की. अगले ही दिन तड़के लेफ्टिनेंट कर्नल कैंथी की भी अस्पताल में मौत हो गई. उनके शव को भी अस्पताल के शवगृह में रखा गया. अगले दिन कुछ घंटों बाद पुरुषोत्तमन का शव कैंथी के परिजनों को सौंप दिया गया और उन्होंने शव का अंतिम संस्कार कर दिया. इसके बाद 1 जनवरी 2010 को जब दिवंगत पुरुषोत्तमन (शिकायतकर्ताओं के पिता) के परिवार के सदस्य शव को लेने आए. यहां जब उन्हें कैंथी का शव दिया गया तो उन्होंने बताया कि यह उनके पिता का शव नहीं है. इसके बाद पता चला कि उनके पिता के शव को गलती से कैंथी के परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया था,  जिन्होंने शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया था. इसे लेकर पीड़ित पक्ष नेशनल कंज्यूमर फोरम गया.

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