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क्या होती है इम्यूनोथेरेपी, ये कैंसर के इलाज में कितनी कारगर ?

भारत में कैंसर के मामले हर साल बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, देश में हर साल कैंसर के हर साल 10 लाख से अधिक मामले आ रहे हैं. 2024 में कैंसर के 14 लाख से अधिक नए केस दर्ज किए गए हैं. कैंसर के मामले सबसे बड़ी समस्या यह है कि जबतक मरीज को इस बीमारी का पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है. भारत में कैंसर के अधिकतर मामले एडवांस स्टेज यानी आखिरी स्टेज में सामने आते हैं. तब तक बीमारी का ग्रेड भी बढ़ चुका होता है. आखिरी स्टेज में कैंसर का इलाज भी एक चुनौती होता है. इस स्टेज में आकर कई मरीज दम तोड़ देते हैं. लेकिन बीते कुछ सालों में कैंसर मरीजों के लिए एक उम्मीद की किरण जगी है.

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कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस थेरेपी में शरीर के इम्यून सिस्टम को कैंसर सेल्स से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाया जाता है. चूंकि इम्यून सिस्टम ही बीमारियों से लड़ता है तो इस थेरेपी में इसको ही मजबूत किया जाता है. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता जब अच्छी हो जाती है तो यह आसानी से कैंसर का मुकाबला कर पाती है. इम्यूनोथेरेपी कितनी कारगर है और क्या इससे कैंसर के सभी मरीजों को ठीक किया जा सकता है. इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं.

कैंसर के इलाज में कितनी कारगर है इम्यूोथेरेपी?

दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉ. विनीत तलवार बताते हैं कि कैंसर के अधिकतर मरीजों का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से किया जाता है. सर्जरी से कैंसर ट्यूमर को निकाला जाता है और कीमो व रेडियोथेरेपी से कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है. लेकिन इम्यूनोथेरेपी की मदद से केवल कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है. इम्यूनोथेरेपी के साइ़ड इफेक्ट्स भी कम हैं. अमेरिका में हुए कैंसर मरीजों पर ट्रायल में इस थेरेपी के अच्छे परिणाम देखे गए हैं.

भारत में भी कैंसर मरीजों को यह थेरेपी दी जाती है. जिन मरीजों में कैंसर के सामान्य ट्रीटमेंट से खास असर नहीं दिखता है तब इसको यूज किया जाता है.अभी भी कैंसर का ट्रीटमेंट कीमो, रेडियोथेरेपी और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के हिसाब से कैंसर मरीज इम्यूनोथेरेपी का सहारा ले सकते हैं.

खासतौर पर जो मरीज कैंसर की चौथी स्टेज पर हैं और कोई दूसरा ट्रीटमेंट प्रभावी नहीं दिख रहा है, तब इसका यूज किया जाता है. विदेशों में हुई रिसर्च में पता चला है कि यह थेरेपी कोलेरेक्टल कैंसर में ज्यादा प्रभावी है. ये थेरेपी कैंसर मरीज की लाइफ को बढ़ा सकती है, हालांकि यह थेरेपी काफी महंगी है. इसके दवाओं को मरीजों की जरूरत के हिसाब से विदेशों से मंगवाया जाता है.

इम्यूनोथेरेपी कैसे दी जाती है

इम्यूनोथेरेपी में मरीज को कुछ खास दवाएं दी जाती हैं जो कैंसर की रोकथाम में यूज होती हैं. यह दवाएं नसों में इंजेक्शन के जरिए शरीर में पहुंचाई जाती है. ड्रिप के जरिए इसको शरीर में डाला जाता है. आमतौर पर कीमथेरेपी के साथ ही इसको दिया जाता है. इस थेरेपी को देने से पहले मरीज और उसके परिजन को इसके बारे में बताया जाता है. साथ ही खर्च की भी पूरी जानकारी दी जाती है. मरीज की बीमारी के हिसाब से इम्यूनोथेरेपी की दवाएं दी जाती है. कुछ साइकिल के बाद मरीज का स्कैन किया जाता है और देखा जाता है कि यह थेरेपी कितना काम कर ही है.

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