झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दूसरी बार वापसी हो रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाला गठबंधन विधानसभा की 81 सीटों में से 57 पर आगे चल रहा है. शनिवार दोपहर जीत सुनिश्चित होने के बाद एक अखबार से बात करते हुए हेमंत सोरेन ने इस जीत का श्रेय अपनी पत्नी कल्पना सोरेन और उनकी टीम को दिया.
हेमंत सोरेन ने कहा, ‘हमने अपना होमवर्क कर लिया था और अपने लक्ष्य निर्धारित कर लिए थे. हम जानते थे कि यह बहुत कठिन मुकाबला होने वाला है. इसलिए हम अपनी टीम के साथ जमीन पर काम करने के लिए निकल पड़े थे. यह बेहतरीन टीम वर्क था और हमने वह मैसेज दिया जो हम देना चाहते थे.’
पत्नी कल्पना को बताया ‘वन-मैन आर्मी’
उन्होंने कहा, ‘आपने देखा कि लोकसभा चुनाव में हमने कैसा प्रदर्शन किया (जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन ने 14 में से पांच सीटें जीती थीं). अगर मैं जेल से बाहर होता तो हम और भी बेहतर प्रदर्शन करते. उस समय, मेरी पत्नी कल्पना सोरेन ‘वन-मैन आर्मी’ के रूप में काम कर रही थीं, इस बार हम दो थे.’
‘वोटर और नेता का रिश्ता छात्र और शिक्षक जैसा हो’
बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. इस पर बोलते हुए हेमंत सोरेन ने कहा, ‘मुख्य बात यह है कि सुनने वाले लोग कौन हैं और वे इससे क्या लेते हैं. मतदाता और नेता के बीच का रिश्ता एक शिक्षक और छात्र जैसा होना चाहिए. शिक्षक को विद्यार्थी की आवश्यकताओं को समझना चाहिए.’
‘ऐसा चुनाव कभी नहीं देखा’
हेमंत ने कहा, ‘लोगों ने देखा कि कैसे पिछले पांच साल में हम उनके साथ रहे, उन्होंने हमें बहुत करीब से देखा. प्रत्येक मुद्दा जो मतदाताओं के दिमाग में चल रहा हो, हमने सुनिश्चित किया कि हमने उन सवालों का जवाब दिया है. हमने उन चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जो भाजपा गलत कर रही थी और इस बात पर जोर दिया कि हम क्या सही कर रहे हैं.’
उनसे पूछा गया, क्या आप कहेंगे कि इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आप पर बहुत दबाव था? उन्होंने कहा, ‘बहुत, मैं आपको बता नहीं सकता कि कितना दबाव था… यह बहुत कठिन था. मुझे नहीं लगता कि मैंने ऐसा कोई चुनाव कभी देखा है और मुझे नहीं लगता कि कभी देखूंगा.’