अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के स्पेसक्राफ्ट वॉयजर-1 ने 24 अरब किलोमीटर की दूरी से सिग्नल भेजा है. पिछले 5 महीनों में यह पहली बार है, जब वॉयजर ने मैसेज भेजा है और नासा के इंजीनियर इसे पढ़ने में सफल रहे हैं. वॉयजर 1 को साल 1977 में अंतरिक्ष में भेजा गया था. यह इंसानों द्वारा बनाया गया वो स्पेसक्राफ्ट है जो अंतरिक्ष में सबसे दूरी पर मौजूद है.
इस स्पेसक्राफ्ट ने पिछले साल 14 नवंबर के बाद से सिग्नल भेजना बंद कर दिया था. हालांकि, वह पृथ्वी से भेजे गए कमांड रिसीव कर रहा था. दरअसल, डेटा इकट्ठा करने और उसे धरती पर भेजने के लिए जिम्मेदार स्पेसक्राफ्ट का फ्लाइट डेटा सिस्टम एक लूप में फंस गया था.
मार्च में नासा की टीम ने पाया कि स्पेसशिप की एक चिप में गड़बड़ी आ गई थी, जिसकी वजह से डेटा सिस्टम मेमोरी का 3% हिस्सा करप्ट हो गया था. इसी कारण स्पेसशिप कोई भी पढ़ने लायक सिग्नल नहीं भेज पा रहा था. इसके बाद वैज्ञानिकों ने कोडिंग के जरिए चिप को ठीक कर दिया.
20 अप्रैल को वॉयजर ने जो सिग्नल भेजा उसमें उसने अपना हेल्थ और स्टेटस अपडेट दिया है. नासा के मुताबिक अब अगला कदम स्पेसक्राफ्ट से साइंस डेटा हासिल करना है.
NASA ने वॉयजर-2 के बाद अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों की खोज के लिए वॉयजर-1 को लॉन्च किया था. इसे 5 सितंबर 1977 को लॉन्च किया गया था. फरवरी 1990 में इस एयरक्राफ्ट ने सोलर सिस्टम की पहली ओवरव्यू तस्वीर ली थी. इसके बाद 25 अगस्त 2012 को वॉयजर-1 इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश कर गया था. पृथ्वी से मैसेज भेजने और फिर वॉयजर-1 से संदेश वापस आने में 48 घंटे का समय लगता है.
दोनों वॉयजर स्पेसक्राफ्ट में गोल्डन रिकॉर्ड्स मौजूद हैं. इनमें सोलर सिस्टम का मैप, स्पेसक्राफ्ट पर रिकॉर्ड प्ले करने के लिए निर्देश और यूरेनियम का एक टुकड़ा शामिल है. यह रेडियोएक्टिव घड़ी की तरह काम करता है, जो स्पेसशिप की लॉन्चिंग की तारीख की जानकारी देता है.
इसके अलावा इसमें 12 इंच की गोल्ड-प्लेटेड कॉपर डिस्क भी है, जो अंतरिक्ष में हमारी दुनिया की जानकारी साझा करने के काम आती है. इनमें धरती पर जीवन से जुड़ी तस्वीरें, म्यूजिक और कुछ खास आवाजें शामिल हैं. नासा के मुताबिक, वॉयजर स्पेसक्राफ्ट का पावर बैंक 2025 तक खत्म होने की आशंका है. इसके बाद यह मिल्की वे गैलेक्सी में घूमता रहेगा.