बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बने अभी 5 दिन ही हुए हैं कि मुख्य विपक्षी दल BNP ने सरकार को अस्थिर करने की कोशिशें शुरू कर दी है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी ने अंतरिम सरकार में गृह मामले के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल सख़ावत हुसैन के इस्तीफे की मांग की है. दरअसल ब्रिगेडियर जनरल सखावत हुसैन ने आवामी लीग को लेकर एक बयान दिया था, जिसके चलते बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी उन पर आवामी लीग का समर्थक होने का आरोप लगा रही है, जबकि सखावत हुसैन शेख हसीना सरकार के कट्टर आलोचक रहे हैं.
सखावत हुसैन ने क्या कहा था?
सखावत हुसैन के एक बयान को बहाना बनाकर BNP इस्तीफे का दबाव बनाई रही है, ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्य विपक्षी दल की यह मांग अंतरिम सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है. गृह मामलों के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल सखावत हुसैन ने सोमवार को अपने एक बयान में शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग से कहा था कि अगर बांग्लादेश देश की राजनीति में बने रहना है तो अपना नेता और चेहरा बदलें. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि यूनुस सरकार का शेख हसीना की आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
उनके इसी बयान को लेकर BNP अब अंतरिम सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है. शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ते ही खालिदा जिया जेल से बाहर आ चुकी हैं और अब उनकी पार्टी की पूरी कोशिश है कि आवामी लीग के खिलाफ पूरी तरह से मोर्चा खोल दिया जाए.
हिंदुओं की रक्षा के दिए थे निर्देश
इससे पहले सखावत हुसैन ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर माफी मांगी थी और हिंदू त्योहारों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम करने के निर्देश दिए थे. यही नहीं उन्होंने राजनीतिक दलों को भी चेतावनी दी थी कि बांग्लादेश में अब इस तरह की राजनीति नहीं चलेगी जिसमें पुलिस को हत्यारे और गुंडे के तौर पर इस्तेमाल किया जाए.
BNP की मांग के पीछे वजह क्या है?
वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में अक्सर जमात-ए-इस्लामी का नाम आता रहा है, जो कि फिलहाल मुख्य विपक्षी दल BNP की समर्थक मानी जाती है. हाल ही में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा को लेकर भी हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को कसूरवार माना था, यही नहीं हसीना सरकार ने तो जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन पर प्रतिबंध भी लगाने का आदेश जारी कर दिया था.
ऐसे में खालिदा जिया की पार्टी का सखावत हुसैन के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. क्या इस्तीफे की मांग महज़ आवामी लीग को लेकर दिए गए बयान की वजह से है या फिर हिंदुओं की रक्षा को लेकर लिए जा रहे कड़े फैसलों की वजह से यह फिलहाल तय करना मुश्किल है.